E WAY BILL SYSTEM BY MOHIT SIR
ई-वे बिल (E-Way Bill) क्या है?
ई-वे बिल (E-Way Bill) एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ है, जिसे वस्तुओं के परिवहन के दौरान जीएसटी (GST) प्रणाली के तहत जनरेट किया जाता है। यह बिल वस्तु एवं सेवा कर (GST) नेटवर्क द्वारा जारी किया जाता है और यह यह सुनिश्चित करता है कि माल की आवाजाही पर कर का सही तरीके से पालन किया जा रहा है।
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ई-वे बिल कब आवश्यक है?
1. 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में परिवहन के लिए।
2. एक ही राज्य के भीतर माल के परिवहन के लिए, यदि राज्य सरकार ने इसे अनिवार्य किया हो।
3. यदि माल को आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता, या ट्रांसपोर्टर द्वारा भेजा जा रहा हो।
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ई-वे बिल जनरेट करने की प्रक्रिया
ई-वे बिल को निम्नलिखित तरीकों से जनरेट किया जा सकता है:
1. ई-वे बिल पोर्टल (https://ewaybillgst.gov.in/)
2. एसएमएस (SMS) के माध्यम से
3. ई-वे बिल मोबाइल ऐप से
4. जीएसटी सुविधा प्रदाता (GSP) के माध्यम से
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ई-वे बिल के महत्वपूर्ण घटक
1. ई-वे बिल नंबर (EBN) – एक विशिष्ट 12-अंकीय नंबर।
2. जनरेट करने की तारीख और समय।
3. माल भेजने और प्राप्त करने वाले का विवरण।
4. माल का विवरण (एचएसएन कोड, मात्रा, मूल्य आदि)।
5. वाहन संख्या और ट्रांसपोर्टर आईडी।
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ई-वे बिल की वैधता
100 किमी तक: 1 दिन
100 से 300 किमी तक: 3 दिन
300 से 500 किमी तक: 5 दिन
500 से 1000 किमी तक: 10 दिन
1000 किमी से अधिक: 15 दिन
(यह वैधता माल के प्रकार और परिवहन के साधन पर निर्भर कर सकती है।)
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ई-वे बिल न बनाने पर दंड
यदि कोई व्यक्ति बिना ई-वे बिल के माल का परिवहन करता है, तो उसे 50,000 रुपये का जुर्माना या माल का मूल्य बराबर कर देना पड़ सकता है।
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ई-वे बिल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
✔️ यदि माल 50,000 रुपये से कम का है, तो ई-वे बिल अनिवार्य नहीं है।
✔️ हस्तशिल्प (Handicrafts) और रक्षा सामग्री पर ई-वे बिल की जरूरत नहीं होती।
✔️ एक बार ई-वे बिल जनरेट होने के बाद, इसे रद्द भी किया जा सकता है, लेकिन 24 घंटे के अंदर।
✔️ यदि ट्रांसपोर्ट के दौरान वाहन बदल जाता है, तो ई-वे बिल में वाहन नंबर अपडेट करना जरूरी होता है।
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निष्कर्ष
ई-वे बिल जीएसटी प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कर चोरी को रोकने और व्यापार की पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करता है। इसे सरल तरीके से ऑनलाइन जनरेट किया जा सकता है, और व्यापारी एवं ट्रांसपोर्टर को इसका सही से पालन करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के दंड से बचा जा सके।
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